आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से बदलेगी मेवाड़ की दशा व दिशा : प्रो. सारंगदेवोत

उदयपुर । जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ (डीम्ड टू बी विश्वविद्यालय) के संघटक कम्प्यूटर एवं आई.टी. विभाग की और से गुरूवार को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस – पावर्ड थ्री डी प्रिन्टिंग पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमीनार के मुख्य अतिथि कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने विद्यार्थियों से कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता) जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में हमारा मार्गदर्शन कर रही है।

इसकी वजह से कठिनाइयां, सरलता में परिवर्तित होती जा रही है। उन्होंने बताया कि इनोवेशन के लिए चार स्टेप जरूरी है। इनमें ज्ञान, जिज्ञासा और रचनात्मकता और कुछ करने की दिशा में आगे बढ़ना है। इनोवेशन से ही आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का जन्म हुआ है।

उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय की और से किये जा रहे नवाचारों में सबसे महत्वपूर्ण मेवाड़ के 100 गांवों को गोद लेकर वहां आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के माध्यम से दिशा व दशा में बदलाव करने की और कार्य किया जायेगा। विद्यापीठ की और से गांव-गांव में थ्री डी प्रिन्टर के माध्यम से विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से वीडियों तैयार कर कैसे प्रतिमाएं बनाते है। स्कूली बच्चों को सिखाया जाएगा इसके लिए हमने उपकरण व पूरी कार्य योजना तैयार कर ली है।

अध्यक्षता करते हुए निदेशक प्रो. मंजू माण्डोत ने बताया कि आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की शुरूआत 1950 के दशक में हुई थी। यह रोबोटिक्स सिस्टम के द्वारा काम करता है। यह इंसान की सोच पर काम करता है तथा तथ्यों पर अपनी प्रतिक्रियाएं भी देता है। उन्होंने बताया कि इस तरह की सेमीनार करने का उद्देश्य छात्रों को बुनियादी समझ प्रदान करने तथा मशीन लर्निंग व प्राकृतिक भाषा का प्रसंस्करण करना है। प्रो. मनीष श्रीमाली ने बताया कि मशीन लर्निंग व आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के आने से नौकरियों का स्वरूप बदल जायेगा तथा रोजगार के नये मौके उपलब्ध होंगे। इसकी मदद से रोजमर्रा की जिंदगी भी आसान हो गई है।

डॉ. भारत सिंह देवड़ा ने बताया कि प्राकृतिक इंटीलीजेंस से हम काम को उतनी तेजी से नहीं कर पाते है। आज आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मांग ज्यादा है क्योंकि हमें कम समय में ज्यादा काम करना है। विशिष्ट अतिथि श्रीरघुनाथ जाट एवं संजय सालवी थे। सेमीनार में कम्प्यूटर साइंस के डॉ. गौरव गर्ग, डॉ. प्रदीप सिंह शक्तावत, प्रियंका सोनी डॉ. दिलीप चौधरी, डॉ. भरत सुखवाल, डॉ. ललित सालवी सहित विद्यार्थी मौजुद थे। संचालन प्रियंका सोनी ने किया।

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