उदयपुर। मोदी सरकार द्वारा उत्पादन करने वाले देश के दोनों कमाऊ हाथ यानी कि मजदूर और किसानों का फायदा पूंजीपतियों को पहुंचाने के लिए कानूनों में परिवर्तन कर मजदूर और किसान को गुलाम बनाने की साजिश रची गई है जिसे सफल नहीं होने दिया जाएगा व इसके खिलाफ शीघ्र ही देशभर के किसान और मजदूर एक मंच पर आकर प्रदर्शन करेंगे। देश की सभी 12 यूनियनों ने बातचीत के बाद सेंट्रल ट्रेड यूनियन कोर्डिनेशन कमेटी के बैनर तले यह फैसला किया है कि देशभर में विरोध-प्रदर्शन किए जाएंगे। विरोध प्रदर्शनों में बीएमएस भी शमिल होगा।


यह बात इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष, कांग्रेस पार्टी के सीडब्ल्यूसी मेम्बर, पूर्व सांसद केन्द्रीय श्रम संगठनों के संयोजक तथा विश्व श्रम संगठन इंटरनेशनल कन्फडेशन ऑफ टे्रड यूनियन (आईसीएफटीयू) के उपाध्यक्ष डॉ. जी. संजीव रेड्डी ने कही। डॉ. रेड्डी सोमवार को इंटक की डबोक में होने वाली प्रदेश कार्यसमिति की बैठक से पूर्व रविवार को यहां आनंद भवन में उदयपुर में पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे। प्रेसवार्ता में राजस्थान इंटक के प्रदेशाध्यक्ष जगदीशराज श्रीमाली, यूथ इंटक के प्रदेशाध्यक्ष नारायण गुर्जर, प्रदेश कोषाध्यक्ष ख्यालीलाल मालवीय, इंटक के वरिष्ठ नेता सतीश व्यास, एस. एम. अय्यर तथा महिला इंटक की प्रदेशाध्यक्ष चंदा सुहालका भी उपस्थित थे।
डॉ. रेड्डी ने कहा कि पहले श्रम कानूनों में परिवर्तन कर मजदूर को अपने हक की लड़ाई लडऩे के लिए हड़ताल जैसे हथियार को छीना गया। किसानों की जमीन को कोर्पोरेट एवं पूंजीपतियों को लीज पर देने तथा न्यूनतम मूल्य, खरीद एवं मंडियों को समाप्त कर जमाखोरी और कालाबाजारी बढ़ाने वाले नियम के खिलाफ 100 से अधिक दिनों से अन्नदाता संघर्ष कर रहा है। उनकी अनसुनी कर तथाकथित राष्ट्रवादी सरकार किसान, मजदूर विरोधी कानून लाने में व्यस्त है। उसे यह समझना होगा कि पूंजीपतियों की पूंजी से देश की जीडीपी नहीं बढ़ती। मजदूर और किसान का परिश्रम एवं पसीना साथ होने पर ही देश की समृद्धि है और उन्हीं से हमारे खजाने में धन सम्पदा की वृद्धि होती है। यह लड़ाई यहां का मजदूर और किसान साथ मिलकर लड़ेगा और यह देश बचायेगा क्योंकि सभी मुनाफे वाले उपक्रमों को एक-एक कर बेचा जा रहा है।
डॉ. रेड्डी ने कहा कि जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी के बनवाये गये उपक्रम का बीजेपी को बेचने का कोई हक नहीं है। लॉकडाउन में अगणित मजदूरों की अकाल मृत्यु हुई व अभी करीब 3 करोड़ लोगों का रोजगार चला गया है। प्रावइेटाइजेशन से यह आंकड़ा और बढ़ जाएगा। नोटबंदी के समय न जाने कितने लोग मरे तथा जीएसटी के कारण अनेक उद्योग बंद हुए और लाखों श्रमिक बेरोजगारी के कगार पहुंचे।
उन्होंने विशाखापत्तनम स्टील प्लांट का उदाहरण देते हुए कहा कि निजीकरण के विरोध में वहां मजदूर कई दिनों से आंदोलन कर रहे हैं, आंधप्रदेश की सरकार कह रही है कि प्लांट उन्हें बेच दिया जाए मगर मोदी सरकार किसी की नहीं सुन रही है। सरकार अब लाभ में चल रही इकाइयों को भी बेचने पर आमादा है जो पूरी तरह से गलत व श्रम विरोधी है। उन्होंने कहा कि 45 श्रम कानूनों की जगह 4 श्रमिक कोड लागू करना मजदूरों के हितों पर कुठाराघात है। हड़ताल और विरोध, न्यूनतम वेतन का अधिकारी छीनना देश को फिर से गरीबी की तरफ धकेलना है। यह सब अंबानी और अडानी के लिए किया जा रहा है।
प्रदेशाध्यक्ष जगदीशराज श्रीमाली ने कहा कि कोरोना काल में सामाजिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए हमने 21 हजार मास्क वितरित किये गये। मुख्यमंत्री सहायता कोष में 6.40 लाख रूपये दिये गये। चार फ्री मेडिकल कैंप लगाकर निशुल्क दवाइयां वितरित की गई। 12 लाख निर्माण श्रमिकों को प्रदेश के बीओसीडब्ल्यूसी बोर्ड के माध्यम से 3500 रूपये की सहायता प्रत्येक श्रमिक को दिलाई गई। उन्होंने सरकार से मांग की कि महंगाई को देखते हुए न्यूनतम मजदूरी 500 रूपये प्रतिदिन की जाय।

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