उदयपुर। राजस्थान और विशेषकर मेवाड़ में इतिहास के पर्याय, प्रताप गौरव केन्द्र ‘राष्ट्रीय तीर्थ’ उदयपुर के संरक्षक तथा भारतीय इतिहास संकलन योजना, नई दिल्ली के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डाॅ. कृष्ण स्वरूप गुप्ता 7 अगस्त 2022 को निधन हो गया। सामान्यतौर से आम जन उन्हें डाॅ. के.एस. गुप्ता के नाम से जनता था।
डाॅ. के.एस. गुप्ता उदयपुर में इतिहास अध्ययन के क्षेत्र में वरिष्ठतम् शिक्षक, आचार्य और विद्वान थे। विगत 60 वर्षों में उदयपुर और आस-पास के क्षेत्रों में इतिहास के जितने विद्वान तैयार हुए सभी उनसे िशक्षत, प्रशिक्षित और संरक्षित रहे। आज मेवाड़ क्षेत्र के किसी भी विश्वविद्यालय में देखें तो उनके ही पढ़ाए विद्यार्थी हमको शिक्षण करते दिखाई देंगे। प्रताप गौरव केन्द्र के संचालक समिति वीर शिरोमणा महाराणा प्रताप समिति के अध्यक्ष डॉ. केएस गुप्ता प्रताप गौरव केन्द्र का संचालन करने वाली वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप समिति, उदयपुर की स्थापना वर्ष 2002 से संस्थापक अध्यक्ष के रूप में जुड़े। लगभग 15 वर्षो तक अध्यक्ष रहने के पश्चात अपनी मृत्युपर्यन्त संरक्षक के रूप में समिति के साथ जुड़े रहे। प्रताप गौरव केन्द्र की संकल्पना से लेकर सृष्टि तक उनका मार्गदर्शन एवं नेतृत्व मिला। इतिहास सम्मत विषयों पर आधुनिक शोधकार्य से लेकर इतिहास शोधन तक के महत्वपूर्ण कार्य में आपने उल्लेखनीय योगदान दिया है। प्रताप गौरव केन्द्र के वर्तमान स्वरूप को खड़ा करने वाली टीम के आप सर्वाधिक सक्रिय, समुप्लब्ध तथा सतत प्रेरणादायी हस्ताक्षर हैं।

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भारतीय इतिहास संकलन समिति के क्षेत्रीय संगठन सचिव छगनलाल बोहरा ने कहा कि प्रो. केएस गुप्ता मृदु भाषी, हास्य प्रेमी और सहज सरल भाषा में अपनी बात प्रस्तुत करने की कला उन्हें अन्य विद्वानों और इतिहासकारों से अलग बनाती थी। प्रोफेसर कृष्ण स्वरूप गुप्ता पुत्र लक्ष्मीनारायण गुप्ता का जन्म 27 अप्रेल 1932 में मेवाड़ राज्य के बनेड़ा में हुआ था। उनकी शिक्षा बनेडा, भीलवाडा, उदयपुर एवं राजस्थान विश्व विद्यालय जयपुर से सम्पन्न हुई। वे उदयपुर विश्वविद्यालय जो बाद में मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय कहलाया में प्रोफेसर के पद से सेवानिवृत्त हुए। वे सुखाड़िया विश्वविद्यालय के सामाजिक विज्ञान एवं मानविकी महाविद्यालय में इतिहास विभाग के विभागध्यक्ष रहे। 1960 से 2022 के बीच उन्होंने करीब 26 पुस्तक और 49 आलेखों का प्रकाशन किया। उन्होंने पुस्तकों का लेखन तीन भाषाओं में किया और आज ये पुस्तक के विश्व भर के 260 पुस्तकालयों में प्रदर्शित है। उन्होंने अपना शोध मेवाड़-मराठा सम्बंध पर किया और इसी विषय पर उन्हें पी.एच.डी. भी प्रदान की गई। उनकी लिखी गई प्रमुख पुस्तकों में मेवाड़ और मराठा संबंध (1735-1818), मराठाकालीन ऐतिहसिक दस्तावेजरू बनेड़ा संग्रह (1805-1818), राजस्थान का राजनीतिक एवं संस्कृत इतिहास इतिहास, प्रारंभिक मध्ययुगीन काल से 1857 तक राजस्थान के इतिहास का परिचयःराजस्थान के इतिहास के स्रोत, सेलक्शन फ्राॅम बनेड़ा आर्काव्जः सिविल वाॅर इन मेवाड़, बनेड़ा संग्रहालय के अभिलेख, के.एस. गुप्ता और एल.पी. माथुर द्वारा संपादित,महाराणा प्रताप से संबंधिता स्रोत एवं स्थानरू दिवेर विजय अंका, राजस्थान के इतिहासकार, मेवाड़ के इतिहास के अविस्मरणीय प्रसंग, बहुआयामी राष्ट्रनायक प्रताप आदि पुस्तकें शामिल है। इनका लेखन और सम्पादन डाॅ. गुप्ता ने किया था।

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