उदयपुर। अंटार्कटिका महाद्वीप के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर ’’विन्सन मैसिफ पर भारतीय ध्वज फहराकर ’’मनस्वी अग्रवाल’’ ने उदयपुर ही नहीं राजस्थान का नाम अंतरराष्ट्रीय मंच पर गौरवान्वित कर दिया है। मनस्वी ने 12 दिसम्बर 2025’’ को यह ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की और वे इस दुर्गम शिखर पर पहुंचने वाली महिला पहली राजस्थानी महिला बन गई हैं। इस दुर्गम शिखर को आज तक राजस्थान का कोई पुरुष भी नहीं छु पाया है।
समुद्र तल से लगभग 5 हजार मीटर (करीब 16,500 फीट) की ऊंचाई पर स्थित विन्सन मैसिफ पृथ्वी के अंतिम छोर पर स्थित है। यह पर्वत शिखर पूर्णतः बर्फ से ढका हुआ है, जहां हजारों किलोमीटर तक कोई मानव आबादी नहीं है। चारों ओर केवल बर्फ का साम्राज्य फैला है और तापमान कई बार माइनस 60 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच जाता है। इन्हीं विषम परिस्थितियों के कारण इस शिखर पर सफलतापूर्वक आरोहण को पर्वतारोहण के क्षेत्र में ’’सबसे चुनौतीपूर्ण अभियानों’’ में गिना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार, प्रतिवर्ष विश्वभर से अधिकतम 50 पर्वतारोही ही इस शिखर तक पहुँच पाते हैं। अब तक भारत से ’’10 से भी कम पर्वतारोही’’ विन्सन मैसिफ पर चढ़ने में सफल हुए हैं, जिनमें अब मनस्वी अग्रवाल का नाम भी स्वर्ण अक्षरों में जुड़ गया है।
कठिन प्रशिक्षण और अनुशासन का परिणाम
मनस्वी अग्रवाल की यह उपलब्धि वर्षों के कठोर प्रशिक्षण और अनुशासन का परिणाम है। उन्होंने ’’माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, दिरांग (अरुणाचल प्रदेश)’’ तथा ’’हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीट्यूट, दार्जिलिंग (पश्चिम बंगाल)’’ से मूलभूत एवं एडवांस पर्वतारोहण प्रशिक्षण सफलतापूर्वक प्राप्त किया है। इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों के अंतर्गत लगभग एक माह तक 6 हजार 500 मीटर ऊंची बर्फीली चोटियों’’ पर रहकर कठिन अभ्यास करना होता है। उल्लेखनीय है कि ये दोनों संस्थान ’’भारतीय सेना द्वारा संचालित’’ हैं।
इसके अतिरिक्त, उन्होंने गुजरात सरकार द्वारा संचालित स्वामी विवेकानंद रॉक क्लाइम्बिंग संस्थान से भी गहन प्रशिक्षण प्राप्त किया है और वे इस क्षेत्र की प्रमाणित प्रशिक्षक भी हैं।
सात महाद्वीपों के शिखरों का लक्ष्य
मनस्वी इससे पूर्व इसी वर्ष ’’यूरोपीय महाद्वीप के सर्वाेच्च शिखर माउंट एलब्रुस तथा अफ्रीकी महाद्वीप के सर्वाेच्च शिखर माउंट किलीमंजारो को भी सफलतापूर्वक फतह कर चुकी हैं। उनका लक्ष्य आगामी वर्ष में विश्व के सभी सातों महाद्वीपों के सर्वाेच्च शिखर पर पहुंचकर “सेवन समिट्स” चुनौती को पूर्ण करना है।
खेल, शिक्षा और शोध में समान उत्कृष्टता
पर्वतारोहण के साथ-साथ मनस्वी अग्रवाल का खेल और शिक्षा के क्षेत्र में भी उत्कृष्ट रिकॉर्ड रहा है। वे 10 मीटर राइफल शूटिंग में प्रख्यात नेशनल शूटर रह चुकी हैं और भारतीय टीम के चयन के चार राउंड तक पहुंच चुकी हैं।
शैक्षणिक क्षेत्र में भी मनस्वी एक प्रेरणास्रोत हैं। उन्होंने गुजरात नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी, गांधीनगर से पांच वर्षीय कानून पाठ्यक्रम पूर्ण करने के बाद स्नातकोत्तर उपाधि’’ प्राप्त की है। वर्तमान में वे ’’पर्यावरणीय कानून’’ विषय पर ’’पीएच.डी. शोध’’ कर रही हैं। हाल ही में उन्होंने ’’विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी)’’ द्वारा आयोजित सहायक आचार्य पात्रता परीक्षा को 99.2 पर्सेंटाइल के साथ उत्तीर्ण किया है। वर्तमान में वे एक स्थानीय सिंघानिया लॉ कॉलेज में सहायक आचार्य के रूप में अध्यापन भी कर रही हैं।
युवाओं के लिए प्रेरणा
मनस्वी अग्रवाल की यह उपलब्धि यह सिद्ध करती है कि दृढ़ संकल्प, कठिन परिश्रम और अनुशासन के बल पर कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है। वे आज देश के युवाओं, विशेषकर बेटियों के लिए साहस, समर्पण और संतुलन की जीवंत मिसाल बन चुकी हैं।
माता पिता के अनुशासन व संस्कार से मिली सफलता
मनस्वी के पिता टी. आर. अग्रवाल राजस्थान वित्त सेवा के वरिष्ठ अधिकारी रहे हैं। वे हाल में अतिरिक्त निदेशक के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। मां सरोज गुप्ता मीरा गर्ल्स कॉलेज में इतिहास विभाग में वरिष्ठ आचार्य के पद पर नियुक्त है। माता-पिता का अनुशासन व संस्कार भी मनस्वी की सफलता में सहायक रहा।





