जयपुर। Rajasthan CM : कांग्रेस congress के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले राजस्थान सरकार संकट में आ गई है। प्रदेश कांग्रेस के बीच सियासी तूफान उस समय रविवार रात को आ गया जब अशोक गहलोत ashok gehlot गुट के अधिकांश विधायकों ने नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल के घर पर जाकर दबाव बनाया कि हर हाल में राजस्थान का मुख्यमंत्री वही व्यक्ति होगा जिस जिन्होंने एक साथ रहकर गहलोत सरकार को उस समय बचाया। साफ-सुथरे शब्दों में विधायकों ने कह दिया 103 विधायकों के अंदर से ही मुख्यमंत्री चुना जाए जो बागी होकर मालेसर कैंप में गए उनमें से किसी को भी मुख्यमंत्री नहीं चुना जाए। एकाएक रात को यह मोड़ तब आया जब यह विधायक बसों में सवार होकर विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी के घर चले गए और अपना इस्तीफा उनको सौंप दिया।

इधर जयपुर में दिल्ली से आए कांग्रेस के पर्यवेक्षक प्रदेश प्रभारी अजय माकन एवं मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ होने वाली विधायक दल की बैठक भी नहीं हो पाई। आज दोपहर को दोनों नेता नई दिल्ली जाएंगे और कांग्रेस नेता सोनिया गांधी को अपनी रिपोर्ट देंगे। यह तर्क दिया गया कि वे विधायकों से एक-एक कर मिलना चाहते हैं लेकिन विधायकों ने अपनी तीन मांग उनके समक्ष रख दी उस में सबसे महत्वपूर्ण और पहली मांग यही है कि मुख्यमंत्री जो विधायक गहलोत सरकार के साथ थे उनमें से ही चुना जाए चाहे कोई भी हो। एक तरफ राहुल गांधी केरल में अपनी यात्रा कर रहे हैं और दूसरी तरफ राजस्थान के संकट ने कांग्रेस को नवरात्र के बीच और मुश्किलें बढ़ा दी है।

दूसरी तरफ पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट sachin pilot को सीएम बनाने को लेकर उनके समर्थकों ने भी अपनी मांग पूरी ताकत के साथ रखी है। बता दें कि जब कांग्रेस विधानसभा चुनाव के समय राजस्थान में चुनाव लड़ा तक पीसीसी चीफ सचिन पायलट ही थे और उनको ही मुख्यमंत्री बनाया जाना था लेकिन ऐन वक्त पर अशोक गहलोत की ताजपोशी हो जाती है। उसके बाद पायलट और गहलोत में कड़वाहट बढ़ी थी और जब पायलट विधायकों के साथ मानेसर कैंप चले गए तो उनको पीसीसी चीफ पद से हटा दिया गया था।

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