जयपुर। संसदीय कार्य मंत्री श्री शांति कुमार धारीवाल ने बुधवार को विधानसभा में आश्वस्त किया कि सरकार द्वारा किसी भी दल के चुने हुए विधायक, सांसद एवं सदस्यों की कोई फोन टेपिंग नहीं की गई जिससे किसी भी सदस्य की निजता भंग नहीं हुई। उन्होंने कहा कि प्रतिपक्ष का फोन टेपिंग का मुद्दा बेबुनियाद है।
धारीवाल शून्यकाल में इस सम्बन्ध में हुई चर्चा के बाद अपना जवाब दे रहे थे। श्री धारीवाल ने स्पष्ट किया कि यदि प्रतिपक्ष के सदस्य इस सम्बन्ध में केन्द्रीय मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह को बुलाकर उनकी आवाज चेक करादे तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार ने आज तक किसी भी सदस्य की कोई फोन टेपिंग नहीं कराया, जबकि केन्द्र सरकार की ओर से 90 हजार लोगों की फोन टेपिंग की गई।
इससे पहले श्री धारीवाल ने इस सम्बन्ध में अपने लिखित वक्तव्य में बताया कि इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के अन्तर्गत भारत सरकार एवं राज्य सरकार को टेलीफोन इंटरसेप्शन के लिए अधिकृत किया गया है तथा लोक व्यवस्था राष्ट्र एवं राज्य की सुरक्षा एवं अपराध घटित होने से रोकने के लिए-विधि द्वारा विहित उद्देश्यों की पूर्ति के लिए राजस्थान पुलिस की इकाइयों द्वारा विधिक इंटरसेप्शन किये जाते है।

उन्होंने बताया कि यह व्यवस्था सभी राज्यों में समान रूप से प्रचलित है । उन्होंने कहा कि आवश्यक होने पर केन्द्र सरकार इंटर स्टेट इंटरसेप्शंस की अनुमति भी प्रदान करती है। यह कोई नई बात नहीं है। उन्होंने बताया कि नियमानुसार मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा नियमित रूप से इंटरसेप्शन संबंधी प्रकरणों की समीक्षा की जाती है। राज्य सरकार ने सख्ती से इन नियमों का अनुसरण किया है तथा कहीं भी इस सम्बन्ध में किसी भी प्रकार की छूट नहीं दी गयी। ऎसा कुछ भी नहीं किया जो सदस्यों की चिन्ता का आधार बन सके।

श्री धारीवाल ने कहा कि हमारी परम्परा रही है कि हमने किसी भी जनप्रतिनिधि की कोई निजता न पहले भंग की है न आगे भंग करेंगे। उन्होंने कहा कि एसओजी द्वारा 17 जुलाई 2020 को लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को धनबल से गिराने के मुकदमे दर्ज किये। मुकदमे को बाद में एसीबी को स्थानांतरित किया गया। इस प्रथम सूचना रिपोर्ट में एक व्यक्ति गजेन्द्र सिंह का भी नाम है जो संजय जैन से वार्ता कर सरकार गिराने का षडयंत्र कर रहे हैं, ये गजेन्द्र सिंह कौन है ? क्यों नहीं जांच में सहयोग करते हैं, जिससे सच्चाई सामने लाई जा सके।

उन्होंने कहा कि फोन टेपिंग का मुद्दा विपक्ष द्वारा उठाया जा रहा है उसका मुख्य मन्तव्य सम्भवतया एक केन्द्रीय मंत्री है, जिन्हें नैतिकता के आधार पर इस्तीफा दे देना चाहिए अथवा प्रधानमंत्री को उन्हें बर्खास्त कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि वो पाक साफ है तो अपना वॉइस टेस्ट से क्यों बचते फिर रहे हैं। उन्होंने बताया कि एसओजी तीन दिन तक उनके दिल्ली दफतर व घर पर घंटों चक्कर लगाती रही परन्तु वो एसओजी के सामने वॉइस टेस्ट के लिए नहीं आये। क्यों जांच से बचना चाहते हैं? उस बात को दबाने के लिए ही यह मुद्दा उठाया जा रहा है।

श्री धारीवाल ने कहा कि हम उन लोंगो में से हैं जो व्यक्ति की केवल अभिव्यक्ति ही नहीं बल्कि संविधान द्वारा उसे प्रदत्त अन्य प्रकार की स्वतंत्रताओं के संरक्षक हैं। उन्होंने कहा कि शिशु का जन्म ही नाल के संग होता है जिसे काटते ही वह सांस लेने लगता है जिसका अर्थ है सांस लेना प्रकृति के द्वारा दिया गया स्वतंत्रता नाम का उपहार है। श्री धारीवाल ने प्रतिपक्ष के सदस्यों से कहा कि आरोप लगाना आपकी जिद है कि हम तुम्हें जीने नहीं देंगे और जनता की जिद है कि हम तुम्हें मरने नहीं देंगे।
संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने 14 अगस्त 2020 को सदन में अपने उद््बोधन में कहा था कि देश के अन्दर हर पॉलिटिकल पार्टी में कई बार डिफरेंस हो जाते हैं पर जिस खूबसूरती के साथ उसका समापन हुआ। उसका कोई धक्का देश के अन्दर किसी को लगा है तो वो हैं अमित शाह और आप सबको। जिससे ही आप बौखलाए हुए हो। मुख्यमंत्री ने सदन में यह भी कहा था कि विधायकों के, सांसदों के टेप करने की राजस्थान में कभी भी परम्परा नहीं रही है, और न राजस्थान में ऎसा हुआ है। मुख्यमंत्री ने अपने उद्बोधन में यह भी कहा था कि केन्द्र सरकार से आज पूरा देश डरा हुआ है, टेलीफोन पर बात करते हुए डरता है कि व्हाट्सएप पर बात करो, क्योंकि कहीं बात हमारी टेप हो रही होगी ?

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि कुछ लोगों ने कहा कि आप के घर पर टेप बन गई, आपके आफिस में टेप बन गई और फिर उसे रिलीज की है. इस पर मुख्यमंत्री ने कहा था कि अगर प्रूव कर दें तो मैं राजनीति छोड़ दूंगा। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा था कि अगर मैं झूठी टेप बनवाऊ सरकार बचाने के लिए तो मेरा नैतिक अधिकार है क्या कि मैं सरकार में बना रहूँ।

श्री धारीवाल ने कहा कि यह वे ही श्री गहलोत है जिसने दो बार वर्ष 1993 से 1998 तक स्वर्गीय भैरोंसिंह की जोड तोड़ से बनाई गयी सरकार को बचाने के लिए उन विधायकों का असहयोग ही नहीं किया बल्कि देश के प्रधानमंत्री श्री नरसिम्हा राव तथा तत्कालीन राज्यपाल श्री बलिराम भगत से कई बार व्यक्तिगत रूप से मिलकर यह कहा था कि बहुमत की सरकार को गिराना अलोकतांत्रिक है हम इस प्रक्रिया के विरूद्ध हैं। चुनी हुई सरकार पांच साल काम करे, लोकतंत्र इसी से मजबूत होता है।

उन्होंने बताया कि विजय कुमार राय, पुलिस निरीक्षक वॉइस लॉगर सेक्शन, एसओजी ने उसे प्राप्त सूचना के आधार पर दिनांक 10 जुलाई 2020 को रिपोर्ट दर्ज कराई जिसमें उन्होंने बताया कि सरकार गिराने का प्रयास किया जा रहा है विधायकों की खरीद फरोख्त कर लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई राजस्थान सरकार के विरुद्ध घृणा व अप्रीति की भावना से राज्य सरकार को अस्थिर किये जाने के प्रयास किये जा रहे है। उन्होंने बताया कि श्री महेश जोशी ने 16 जुलाई 2020 को सोशल मीडिया एवं टीवी समाचारों में श्री भंवरलाल शर्मा, श्री गजेन्द्र सिंह व श्री संजय जैन के मध्य वार्तालाप की ऑडियो क्लिप टी.वी. चैनलों पर प्रसारित होने पर इनके द्वारा ही लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई विधिक गई रूप से स्थापित राज्य सरकार के विरूद्ध धन का आदान-प्रदान कर एवं असंतोष पैदा कर षड़यंत्र रचकर सरकार को गिराने की योजना बनाने पर प्रकरण संख्या 48/2020 धारा 124ए. 120बी भादस पुलिस थाना एसओजी जयपुर में पंजीबद्ध कराने के बाद अनुसंधान प्रारम्भ किया गया।

संसदीय कार्य मंत्री ने बताया कि उपरोक्त तीनों प्रकरणों का विस्तृत अनुसंधान करने पर तथ्यो के संबंध में विधिक राय ली गई जिसके अनुसार 124 का अपराध होना प्रमाणित नहीं पाये जाने की राय प्राप्त हुई। इसलिए तीनों प्रकरण ज्यूरिडिक्शन के बाहर होने के कारण उनमें एफआर अदम वकुआ सक्षम न्यायालय में प्रस्तुत की गई जिस पर न्यायालय ने स्वीकृति दी।

श्री धारीवाल ने कहा कि प्रारम्भिक कालखण्ड में मान्यता थी कि कैमरा झूठ नहीं बोलता परन्तु ट्रिक फोटोग्राफी ने इस मान्यता को भी ध्वस्त कर दिया। आम सभा में हम देखते है कि हजारों की भीड़ उपस्थित हैं परन्तु यथार्थ में वहां मुट्ठीभर लोग ही मौजूद होते हैं। जैसा आज बंगाल में हो रहा है परन्तु इस मोबाइल ने आडियो और वीडियो के माध्यम से असलियतें दिखाना चालू कर दिया है। श्री धारीवाल ने बताया कि इंडियन टेलीग्राफ एक्ट 1885 के अन्तर्गत केन्द्र की 9 एजेंसियां एवं राज्य में केवल पुलिस विभाग को टेलीफोन इंटरसेप्शन के लिए अधिकृत किया गया है।

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