उदयपुर। साधुमार्गी जैन संघ के जैन आचार्यश्री रामेश का चातुर्मास सेक्टर 4 मे था जो 8 नवम्बर को सम्पन्न हुआ । इसी 8 नवम्बर को विगत 37 दिवस से संथारा की साधना मे लीन 85 वर्षीय महासती शांताकंवर जी मसा का 8 नवम्बर को सांय 6 बजे देवलोक गमन हो गया था।
बाद में उनके पार्थिव देह को दर्शन के लिए रखा गया तथा 9 नवम्बर को प्रात 7.30 बजा सेक्टर 4 जैन स्थानक भवन से हजारो जनसमुदाय के साथ डोल यात्रा सेक्टर 3 मोक्ष धाम हेतु रवाना हुई।
पुरे मार्ग मे जय जय नंन्दा जय जय भध्धा व राम गुरु की जय जयकार , शान्ताकंवर सती की जय जय कार के साथ डोल यात्रा मोक्ष धाम की तरफ चल रही थी पुरे रास्ते जैन अजैन सभी दर्शन कर श्रद्धा से नतमस्तक होते दिखे। अपार जन समूह जिसमे उदयपुर जैन समाज के साथ साथ बडीसादडी , मंगलवाड , जयपुर ,जावरा ,भदेसर ,कानोड , गुडली , निम्बाहेडा , मुम्बई , बैगु , चितौड , कांकरोली , मावली , फातृहनगर सहित अनेक जगह से श्रद्धालु डोल यात्रा मे शामिल हुए।
शांन्ताकंवर की जय जयकार के नारो के बिच महासती के नश्वर देह को मुखाग्नी दी गई व महासती का शरीर पंचतत्व मे विलिन हो गया।
महासती के सहयोगि साध्वीयो ने जिस तरह महासती शांताकंवर की सेवा कि वह अनुकरणीय है।
गौरतलब है जैन साध्वी अपने सारे कार्य स्वयं या सहयोगी साध्वी के साथ मिलकर ही करती है सामान्य जन उनके किसी कार्य को नही कर सकता है एसे मे साथी साध्वी ने दिन रात जिस तरह साध्वी की उसकी सभी ने प्रशसा की। निश्चय ही जैन साधु साध्वी का जीवन अद्भुत होता है। महासती ने अपना जीवन एसा बनाया की उनकी मृत्यु पर महोत्सव जैसा माहोल बन गया। गुणानुवाद सभा आयोजित हुई
जैन सिद्धान्त मे व्यक्ति पुजा नही वरन गुणो की पुजा होती है। एसे में साध्वी के देह से आत्मा जाने के बाद उनके गुणो का गुणानुवाद करने को सभा आयोजित हुई। आचार्यश्री रामेश का 9 नवम्बर को सेक्टर 4 जैन स्थानक से विहार होकर सेक्टर 5 पधारना था उसके पूर्व महासती शांताकंवर के देवलोक व देह पंचतत्व विलिन होने के बाद गुणानुवाद सभा आयोजित हुई जिसमे आचार्यश्री रामेश , उपाध्याय राजेश मुनि , आदित्य मुनि सहित कइ साधु साध्वी ने अपने अहोभाव महासती के प्रति रखे। आचार्यश्री रामेश ने कहा कि महासती द्रढ निश्चयी थी उनकी प्रतीज्ञा उनकी ताकत मे आपने अन्तिम मनोरथ की दिशा मे एसा कार्य कर गई जोमे प्रैरणा देता है। जिसका आत्मविश्वास गहरा हे वही अपने निर्णय पर खरा उतरता है। अब क्या होगा का विचार आत्मविश्वासी को नही आता है। जिस उंमग से संथारा ग्रहण किया महासती उस पर खरा उतरी।

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