उदयपुर के पत्रकारों ने एडिटर शैलेश व्यास को दी श्रद्धांजलि

उदयपुर। सोमवार को लेक सिटी प्रेस क्लब की और से जय राजस्थान के प्रकाशक संपादक शैलेश जी व्यास के लिए श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सभा में प्रेस क्लब के साथियों ने शैलेश व्यास की तस्वीर पर पुष्पांजलि अर्पित की एवं 2 मिनट का मौन रखकर उनकी आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। उल्लेखनीय है कि गत 12 फरवरी को श्री शैलेश जी का 70 वर्ष की आयु मे निधन हो गया था।
सभा के प्रारंभ में लेक सिटी प्रेस क्लब अध्यक्ष कुलदीप सिंह गहलोत ने शैलेश जी का जीवन परिचय देते हुए उन्हें एक जिंदा दिल व्यक्तित्व का धनी बताया। सभी से हमेशा स्नेह और अपनत्व से मिलने वाले शैलीजी का यूं अचानक चले जाना पत्रकार जगत के लिए बड़ी क्षति है। पत्रकारिता में उनकी उल्लेखनीय सेवाओं के लिए प्रेस क्लब उन्हें हमेशा याद रखेगा।
वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश शर्मा ने कहा कि गणतंत्र दिवस के अवसर पर उदयपुर में हुए राज्य स्तरीय समारोह की पूर्व संध्या पर सहेलियों की बड़ी में हुए एट होम कार्यक्रम में शैलेश जी से मुलाकात हुई थी। उस‌ दौरान अपने जानी वाले अंदाज में ही वो मुझसे मिले और बातें की। उसे देखते हुए आज यकीन ही नहीं हो रहा है कि शैलेश जी हमारे बीच में नहीं है। उसे दिन मजाक में जब उनसे कहा कि शैलेश जी आप पर बुढ़ापा हावी हो रहा है तो उन्होंने अपने जानी वाले अंदाज में ही कहा कि जानी कभी बूढ़े नहीं होते जानी। ऐसे हंसमुख और मिलनसार व्यक्ति का यूं अचानक चले जाना हमारे पत्रकारिता जगत के लिए बड़ा ही पीड़ादायक है। शैलेजी की एक खासियत यह भी थी कि वह कभी भी किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझते थे। उनका व्यवहार सभी के साथ एक समान रहता था
सुनील पंडित ने कहा कि पिछले साल 26 जनवरी को पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए मुझे लेक सिटी प्रेस क्लब की ओर से दिए जाने वाले चंद्रेश व्यास सम्मान से मुझे सम्मानित किया गया। मुझे गर्व है कि मुझे यह सम्मान मिला। चंद्रेश जी व्यास शैलेश जी के पिता श्री थे। हालांकि मैं कभी शैली जी से मिल नहीं पाया उनसे फोन पर जरूर बात होती रहती थी। लेकिन उनके बारे में जिस तरह से उनके जिंदा दिल्ली के किस्से सुनता हूं तो मुझे लगता है कि मैं उन जैसे व्यक्तित्व से मिलने से वंचित कैसे रह गया। शैलेश जी का जीवन हम सभी के लिए प्रेरणादाई है। हमें भी आपस में कटुता भुलाकर एक दूसरे से इसी तरह मिलजुल कर रहना चाहिए।
मनोज आचलिया ने शैलेश जी के साथ बिताए हुए दिनों को याद करते हुए कहां की उन जैसा जिंदा दिल और व्यवहार कुशल व्यक्ति मिलना ही अपने आप में महत्वपूर्ण है। वह जब भी मिलते थे हमेशा हंसते मुस्कुराते मिलते थे और चाहे छोटा हो या बडा सभी से सामान स्नेह रखते थे।
डाक्टर अजातशत्रु शिवरति ने कहा कि शैलेश जी उनके जीवन में एक मार्गदर्शक की तरह थे। उन्होंने जब भी कुछ लिखा शैलेश जी ने न केवल उसकी तारीफ की बल्कि जय राजस्थान में उसे स्थान देखकर मेरी लेखनी को हमेशा प्रोत्साहित किया। ऐसे जिंदा दिल और मिलनसार व्यक्ति का यह अचानक चला जाना वाकई में असहनीय और पीड़ादायी है।


जय राजस्थान के समाचार संपादक भूपेंद्र कुमार चौबीसा ने कहा कि जय राजस्थान से उनका जुड़ा 1984 से हुआ था। तब शैलेश जी के पिता श्री चंद्रेश जी व्यास जय राजस्थान का संचालन करते थे। उनके देवलोक गमन के बाद जय राजस्थान की बागडोर शैलेश जी ने संभाली थी। तब से लेकर आज तक मेरा शैलेश जी से जुड़ाव रहा है। जिस तरह से उन्होंने लिखने की आजादी प्रदान की वह मेरे लिए बेमिसाल है। इतने सालों में एक भी दिन ऐसा नहीं रहा जिस दिन हम साथ नहीं बैठे या फोन पर बात नहीं हुई। उनके व्यक्तित्व के बारे में एक ही लाइन पर्याप्त होगी की शैलेश जी आपने जीते जी जिंदगी को तो मजाक बना ही रखा था लेकिन जाते-जाते मौत को भी मजाक बना गये।
श्रद्धांजलि सभा में लेक सिटी प्रेस क्लब के पूर्व अध्यक्ष श्री रफीक पठान, जय राजस्थान के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट राजेंद्र हिलोरिया, मुकेश हिंगड, नितिन, अविनाश जगनावत,प्रदीप सिंह भाटी, कैलाश टाक, हरीश शर्मा, ओम पूर्बिया, रमेश भटनागर, रोबिन गोड, अमानत, युनूस खान, अब्दुल अजीज सिंधी, महावीर, राजेश डागी , तूफान, योगेश सुखवाल,अमानत अली,लखन शर्मा सहित प्रेस क्लब के साथी उपस्थित थे।

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