उदयपुर। विकास मुनि VIkas Muni नहीं रहे। यह जिसने भी सुना वह सन्न रह गया। सुनते ही पहला शब्द ही सवालों के साथ सामने आए। अरे कैसे हो गया। ये कोई उम्र थी। हो क्या गया। वैसे तो विकास मुनि के असाता उदय की जानकारी प्राय: प्राय: सभी को थी लेकिन जिसने उनके देवलोकगमन की खबर सुनी तो सहज विश्वास नहीं होगा। ज्ञानगच्छ सम्प्रदाय में ज्ञानगच्छाधिपति प्रकाश मुनि के सुशिष्य विकास मुनि बहुत याद आएंगे। Vallabhnagar वल्लभनगर वालों ने जब उनका अंतिम चातुर्मास कराया तो वल्लभनगर वाले उनके दिल में बस गए पर यह किसी को नहीं पता था कि यह मुनि का अंतिम चातुर्मास होगा। गुजरात से लेकर मध्यप्रदेश होकर राजस्थान और देश के अन्य हिस्सों में जब विकास मुनि के असाता वेदना की बात जिसको भी पता चली तो सबके मन में प्रार्थनाएं उठने लगी। अपनी आराधना के बीच एक प्रार्थना यह भी जुड़़ गई कि विकास मुनि ठीक हो जाए। विकास मुनि के बीमार होने से लेकर उनके देवलोकगमन होने के बाद अब भी रह-रहकर उनका चेहरा सामने है। श्रावक-श्राविकाओं के शब्द थे बहुत याद आएंगे विकास मुनि।

लगातार 31 की तपस्या की और फिर उपवास शुरू किए
विकास मुनि Rawati (रावटी वाले) के सिर में ट्यूमर होने की जैसे ही खबर आई और उन्होंने उपचार की बजाय तपस्या शुरू कर दी। उन्होंने लगातार 31 की तपस्या की। इसके बाद पारणा किया और फिर तपस्या शुरू कर दी। 22 जनवरी 2022 की दोपहर को 1 बजे उदयपुर के जुहार भवन भुपालपुरा में उन्होंने चौविहार संथारा ग्रहण कर लिया जो अगले दिन 23 जनवरी की सुबह प्रातः 5 बजकर 11 मिनट पर सीज गया।

संथारे के बारे में ​बहुत कुछ ज्ञान दिया विकास मुनि ने
वल्लभनगर के ऋषभ पोखरना ने एक पोस्ट में लिखा कि 2021 में वल्लभनगर को उनका चातुर्मास मिला था। विकास मुनि से बहुत-सी शिक्षाएं बहुत से थोकडें सिखे। उनकी समझाईश ऐसी होती थी कि कोई छोटा बच्चा भी आकर बैठ जाता तो उसे भी समझ आ जाता। विकास मुनि ने व्याख्यान में करीब 15 दिन संथारे का विस्तृत से वर्णन किया। अब मन में आता है कि संथारे के बारे में बहुत कुछ ज्ञान हमे मिला और विकास मुनि ने Practically भी करके बता दिया, धन्य है विकास मुनि।

वल्लभनगर में हाथ में सुन्नता आने लगी
चातुर्मास का लगभग पौने चार महीने बीतने आये थे, और एकदम विकास मुनि के हाथ में सुन्नता आने लगी। शुरू में सर्दी के कारण होना समझ कर टालते रहे पर सुन्नता बढने से बहुत से कार्यो में आप को तकलीफ होने लगी। संघ के सदस्यों के आग्रह एवं निर्वध्य चिकित्सा लेने हेतु वैद्य से सलाह ली पर ज्यादा सुधार नही हो पाया। फिर यूनानी चिकित्सा से निर्वध्य थेरेपी चालू करी और चातुर्मास्य समाप्त होने में केवल 5-6 दिन हीं बचे हुए थे। उसमें भी 2 ही दिन Therapy हो पायी। थोड़ा स्वास्थ्य में सुधार होने लगा पर संतोषजनक नहीं था। सर्दी के साथ की तकलीफ बढने लगी।

जोधपुर में हुई दीक्षा

43 वर्षीय विकास मुनि की दीक्षा 30 अप्रैल 2001 Jodhpur जोधपुर में हुई थी।उनका जन्म रावटी में हुआ। उनके पिताजी महेंद्र कटारिया और माताजी मंजुलाजी के यहाँ हुआ पूज्य श्री झमक मुनि महाराज साहब आपके दादा जी थे और पूज्या महासति शिरोमणि महाराज भूआसा थे।

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