जब वेनिस बोले कि हम ‘पश्चिम के उदयपुर’ तो बने बात :लक्ष्यराज सिंह मेवाड़

उदयपुर। लेकसिटी उदयपुर में आने वाले पर्यटकों को अब रात्रि में भी यहां की कला, संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिल रहा है। महाराणा मेवाड़ चेरिटेबल फाउण्डेशन, उदयपुर की ओर से सिटी पैलेस म्यूजियम अब शाम 7 से रात 9 बजे तक पर्यटकों के लिए खुला रहेगा। शहर में नाइट टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयासों के तहत बुधवार शाम को युवाओं के सिटी पैलेस म्यूजियम की रात्रिकालीन भव्यता को देखने के लिए विशेष भ्रमण कार्यक्रम आयोजित हुआ।

सिटी पैलेस म्यूजियम की रात्रि कालीन भव्यता से रूबरू होने के लिए आयोजित विशेष भ्रमण दौरान युवाओं ने मेवाड़ के गौरवपूर्ण  इतिहास के बारे में जाना और इसकी भव्यता और सौंदर्य को विश्वभर में अनूठा बताया। इस दौरान फाउंडेशन के ट्रस्टी  लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ से भी युवाओं ने संवाद किया। उन्होंने कहा कि अब तक उदयपुर को पूर्व का वेनिस नाम से जाना जाता है, अब वक्त आ गया है जब वेनिसवासी कहें कि हम पश्चिम के उदयपुर हैं तो बात बने। इसके लिए सभी को मिलजुलकर प्रयास करने होंगे।  

…अब पर्यटकों को मायूस न होना पड़ेगा :

लक्ष्यराज सिंह मेवाड़ ने कहा कि रात्रि पर्यटन बढ़ाने के लिए नाइट म्यूजियम को नई व्यवस्थाओं के साथ शुरू करवाया गया है। उन्होंने कहा कि नाइट टूरिज्म के बढ़ने से पर्यटन व्यवसाय से जुड़े सैकड़ों परिवारों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। इससे पहले देश-दुनिया से उदयपुर के एक दिन के भ्रमण पर आने वाले हजारों पर्यटक नाइट टूरिज्म के अभाव में मेवाड़ के म्यूजियमों में संग्रहित गौरवशाली इतिहास, कला और संस्कृति को देखने से वंचित रह जाते थे और उन्हें मायूस होकर लौटना पड़ता था। पर्यटकों की आशाओं को पूर्ण करने के उद्देश्य से प्रथम चरण में सिटी पैलेस म्यूजियम , उदयपुर के मर्दाना महल को शाम 7 बजे से रात 9 बजे तक खुला रखा जाएगा, जिससे पर्यटक रात्रि में भी हमारी प्राचीन शिल्पकला, संस्कृति व समृद्ध परंपराओं से रूबरू होते रहेंगे।

युवाओं ने खुलकर किया संवाद :

इस मौके पर संदीप राठौड़, विपुल वैष्णव, यशवंत, संस्कार, अभय, रजत, जय शर्मा सहित बड़ी संख्या में युवाओं ने मेवाड़ के साथ संवाद किया और मेवाड़ की प्राचीन कला, संस्कृति और परंपराओं को विश्व पटल पर पहुंचाने के लिए किए जा रहे प्रयासों के बारे में जानकारी ली। युवाओं का कहना था कि समृद्ध इतिहास, कला व संस्कृति को नई पीढ़ी को भी बताया जाना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को भी हमारे पुरखों की विरासत पर गौरव की अनुभूति हो सके।

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