चित्तौड़गढ़। सांसद सी.पी.जोशी ने बुधवार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान सभा की कार्यवाही में भाग लेते हुये तारांकित प्रश्न के माध्यम से रेल मंत्रालय से प्रश्न किया की मावली-मारवाड़ की वर्तमान लाईन से हो रहे कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये उसको ब्रोडगेज बनाने तथा वहॉ पर इलेक्ट्रीफीकेशन के माध्यम से न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन की ट्रेन को चलाये जाने की योजना क्या मंत्रालय बना रहा है?

सांसद जोशी ने मेवाड़ वागड़ की जनता की तरफ से रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव का आभार व्यक्त करते हुये सदन में बताया की मोदी की सरकार के नेतृत्व में बड़ीसादड़ी से उदयपुर तथा अहमदाबाद से उदयपुर के लिये ट्रेनों का संचालन हो रहा हैं। मालवा व मेवाड़ के लिये बड़ीसादड़ी-नीमच नवीन रेल लाईन की स्वीकृति हो चूकी हैं। यह आजादी से पूर्व का एक सपना था जो की अब पुरा हो गया हैं।

संसदीय क्षेत्र में मोदी सरकार के द्वारा रेलवे के क्षेत्र में किये गये एतिहासिक कार्यों के लिये सांसद जोशी ने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी व रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णव का आभार व्यक्त किया।

जिसके जवाब में केन्द्रीय रेल मंत्री ने सदन में सांसद जोशी व मेंवाड़ व उनके ड्रीम प्रोजक्ट मावली-मारवाड़ को इस प्रश्न के माध्यम से जोड़ा हैं मावली-मारवाड़ आमान परिवर्तन प्रोजक्ट जो की इस क्षेत्र की अतिमहत्वपुर्ण रेल परियोजना हैं उस पर मंत्रालय के द्वारा सकारात्मक तरिके से विचार किया जा रहा हैं तथा यह वरियता में हैं।

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इसके साथ ही रेल मंत्रालय वर्तमान में भारत सरकार के द्वारा न्यूनतम कार्बन उत्सर्जन को ध्यान में रखते हुये देश भर में विद्युतिकरण का कार्य किया जा रहा हैं जो की ऐतिहासिक प्रतिवर्ष 5000 किलोमीटर से भी ज्यादा हैं, इसके साथ ही नयी रेल लाईन बिछाने का कार्य भी लगभग 12 किलोमीटर प्रतिदिन की दर से हो रहा हैं।

सांसद जोशी ने आज सदन में रेल मंत्रालय से ताराकिंत प्रश्न के माध्यम से आयातित इंर्धन का वार्षिक बिल संबधी प्रश्न किया जिसमें उन्होने रेल मंत्री से पूछा की भारतीय रेल के द्वारा हाई-स्पीड पर सालाना व्यय की जाने वाली राशि का विवरण क्या हैं?, आयातित ईंधन के लिये बिल राशि?, इलेक्ट्रीक व डीजल इंर्जनों के रखरखाव के लिये सालाना व्यय राशि? तथा ईथेनॉल व जैव डीजल से चलने वाला लोकोमोटिव संबधी जिस पर रेल मंत्री श्री अश्विनी वैष्णन ने जवाब में बताया की भारतीय रेल के द्वारा हाई स्पीड डीजल पर व्यय की गयी राशि 2018 में 18857 करोड़, 2019 में 16377 करोड़, 2020-21 में 11438 करोड़ रही यानि की प्रतिवर्ष डीजल खर्च में घटौती हुयी।

भारतीय रेलवे के द्वारा सीधे तौर पर किसी प्रकार का कोई हाई-स्पीड डीजल सीधे तौर आयात नही किया जाता हैं। भारतीय रेलवे के द्वारा डीजल इंर्जनो के रख रखाव के लिये प्रतिवर्ष खर्च राशि जो की वर्ष 2018 में 2262 करोड़, 2019 में 2430 करोड़, 2020-21 में 2344 करोड़ रह गयी। इसके साथ ही अन्य ईंधनो के साथ इथेनॉल, बायो डीजल को मिश्रित करके इंजनो का चलाया जा रहा हैं, तथा बी-5 बायो डीजल से बायो डीजल इंर्जनो के चलाये जाने का परिक्षण किया जा रहा हैं।

सांसद जोशी ने प्रश्न किया की क्या भारतीय रेलवे माननीय प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में ली गई भारत की हरित प्रतिबद्धता -पंचामृत को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ ईंधन के उपयोग पर आधारित किसी योजना पर विचार कर रही है? (पंचामृतः 1. वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट की गैर जीवाश्म ऊर्जा क्षमता। 2. वर्ष 2030 तक ऊर्जा का 50 प्रतिशत हिस्सा नवीकरणीय स्रोतों से। 3. वर्ष 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी करना। 4. वर्ष 2030 तक अर्थव्यवस्था की कार्बन तीव्रता को 45 प्रतिशत से अधिक कम करना। 5. 2070 तक नेट जीरो उत्सर्जन का लक्ष्य।) जिसके जबाव में रेल मंत्री ने बताया की प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से घोषणा की थी की 2030 तक रेलवे नेट जीरो होगा। इसके तहत देश भर में स्टेपवाईज विद्युतिकरण का कार्य किया जा रहा हैं तथा शेष बचे मार्गों का भी विद्युतिकरण किया जा रहा हैं। इसमें नई टेक्नोलॉजी 2 गुणा 25 किलोवाट का भी उपयोग किया जा रहा हैं।

इसके साथ ही रेलवे के ट्रेक्शन सब स्टेशन जहॉ से रेलवे ट्रेक का कर्षण की आपूर्ति होती हैं उनके आस पास सौलर पार्कों का निर्माण किया जायेगा। इसके साथ ही अन्य सौलर पार्कों का भी निर्माण किया जा रहा हैं। इसके साथ ही प्रतिवर्ष डीजल के उपयोग में भी कटौती होती जा रहा हैं।

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